आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जाते जाते सहम के रुक जाएँ मर के देखें उदास राहों पर कैसे बुझते हुए उजालों में दूर तक धूल ही धूल उड़ती है!
Gulzar
No comments:
Post a Comment