आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
वह लड़कर भी सो जाए तो उसका माथा चूमूं मैं,
उससे मुहब्बत एक तरफ है उससे झगड़ा एक तरफ।
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