Thursday, May 25, 2023

थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो 

थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो 


ख़्वाबों के उफ़ुक़ पर तिरा चेहरा हो हमेशा 
और मैं उसी चेहरे से नए ख़्वाब सजाऊँ 

हम ने उस को इतना देखा जितना देखा जा सकता था 
लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था 

दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा 
देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है 

यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ 
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है 

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