आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
फरेबी दौर है इतना कि परछाई से डरती हूँ।
बदलते वक्त के चेहरों की रानाई से डरती हूँ।
बुरे लोगों से बचकर तो संभलना मुझको आता है
मगर इन अच्छे लोगों की मैं अच्छाई से डरती हूं।
anamika amber
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