जो दिल के नज़दीक होता है, वो ही खफा होता है। ग़ैर से कब गिला होता है, गैर कब खफा होता है।।
बड़ी अज़ब शै है ये प्यार,प्यार का फ़लसफ़ा यारो।
प्यार दर्द-ए-दिल होता है,प्यार दर्द-ए-दवा होता है।।
ज़िंदगी कुछ भी नहीं,दास्तां है मिलने-बिछुड़ने की।
जो मिलता है ज़िंदगी में, वो शर्तिया जुदा होता है।।
जिसने भी किया दावा,दिल के हाथों मजबूर हुआ।
क्या भरोसा दिल का कब, किस पर फ़िदा होता है।।
इंसान कोशिश करता है,दिल की दिल में रखने की।
नहीं जानता राज़- ए- दिल,निग़ाहों से अदा होता है।।
No comments:
Post a Comment