आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
एक लम्हे की ज़िन्दगी
बस साथ तेरे गुज़ार दूँ , ज़हन में मेरे बस गई , वो उस लम्हे की सादगी | वो ज़िंदगी का एक लम्हा , और एक दूजे में बस गए , फिर यादों में भी साथ हों , अब ना तू तन्हा, ना मैं तन्हा |
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