आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बेर कैसे थे, ये शबरी से पूछो,
श्रीराम से पूछोगे तो मीठे ही कहेंगे।
ज़हर का स्वाद शिव से पूछो,
मीरा से पूछोगे तो अमृत ही कहेगी।
नीरज
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