Thursday, April 7, 2022

सितारे पलकों पे हम ने सजा के रक्खे हैं

ये और बात कि आगे हवा के रक्खे हैं

चराग़ रक्खे हैं जितने जला के रक्खे हैं 

नज़र उठा के उन्हें एक बार देख तो लो 
सितारे पलकों पे हम ने सजा के रक्खे हैं 

करेंगे आज की शब क्या ये सोचना होगा 
तमाम काम तो कल पर उठा के रक्खे हैं 

किसी भी शख़्स को अब एक नाम याद नहीं 
वो नाम सब ने जो मिल कर ख़ुदा के रक्खे हैं 

उन्हें फ़साने कहो दिल की दास्तानें कहो 
ये आईने हैं जो कब से सजा के रक्खे हैं 

ख़ुलूस दर्द मोहब्बत वफ़ा रवादारी 
ये नाम हम ने किसी आश्ना के रक्खे हैं 

तुम्हारे दर के सवाली बनें तो कैसे बनें 
तुम्हारे दर पे तो काँटे अना के रक्खे हैं

No comments:

Post a Comment