Thursday, February 11, 2021

लहजा शायरी

उस के लहजे में बर्फ़ थी लेकिन
छू के देखा तो हाथ जलने लगे
- अमजद इस्लाम अमजद


मीठी बातें, कभी तल्ख़ लहजे के तीर
दिल पे हर दिन है उन का करम भी नया
- क़ैसर ख़ालिद

किसी के नर्म लहजे का क़रीना
मिरी आवाज़ में शामिल रहा है
- यासमीन हमीद

अपने लहजे की हिफ़ाज़त कीजिए
शेर हो जाते हैं ना-मालूम भी
- निदा फ़ाज़ली

लहजे और आवाज़ में रक्खा जाता है
अब तो ज़हर अल्फ़ाज़ में रक्खा जाता है
- अज़हर अदीब


लहजे का रस हँसी की धनक छोड़ कर गया
वो जाते जाते दिल में कसक छोड़ कर गया
- अंजुम इरफ़ानी

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में
अजब तरह की घुटन है हवा के लहजे में
- इफ़्तिख़ार आरिफ़


इस लहजे से बात नहीं बन पाएगी
तलवारों से कैसे काँटे निकलेंगे
- तारिक़ क़मर

तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से
तू ने ख़ुश्बू मिरे लहजे में बसा रक्खी है
- इक़बाल अशहर

तासीर नहीं रहती अल्फ़ाज़ की बंदिश में
मैं सच जो नहीं कहता लहजे का असर जाता
- ताहिर अज़ीम

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