Wednesday, April 29, 2020

रात शायरी

ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ 
हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते 
- उम्मीद फ़ाज़ली

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम 
जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई 
- फ़िराक़ गोरखपुरी

रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़ 
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है 
- इरफ़ान सिद्दीक़ी


उम्र भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं 
हाए वो रातें कि जो ख़्वाब-ए-परेशाँ हो गईं 
- अख़्तर शीरानी

इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में 
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात 
- फ़िराक़ गोरखपुरी
रात को रात हो के जाना था
ख़्वाब को ख़्वाब हो के देखते हैं
- अभिषेक शुक्ला

रेत पर रात ज़िंदगी लिक्खी
सुब्ह आ कर मिटा गईं लहरें
- मोहम्मद असदुल्लाह
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले 
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है 
- तनवीर सिप्रा

ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ 
उसे ढूँडें कि उस को भूल जाएँ 
- अहमद मुश्ताक़
 
मिरी नज़र में वही मोहनी सी मूरत है 
ये रात हिज्र की है फिर भी ख़ूब-सूरत है 
- ख़लील-उर-रहमान आज़मी

हिचकियाँ रात दर्द तन्हाई 
आ भी जाओ तसल्लियाँ दे दो 
- नासिर जौनपुरी

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