जीवन के हर एक कड़ियो में ,
अक्सर सपने टूटा करते
उन कल्पनाओ के गलियो में ,
चला था ये सोचकर
हासिल कर लूँगा हर सपना ,
जीवन बस अनन्त हैं
बस यही भ्रम था अपना ,
जीवन इतना समान्य नही
ज़ितना मैंने सोच लिया था ,
हर मुश्किल थी मेरे आगे
अब इसको मैं जान लिया था ,
मान लिया था खुद को "कश्ती"
उन तूफानो के अठखेलियो में ,
फिर भी अड़ा रहा पथ पर अपने
उन तूफानो के गलियो में ,
हर सम्भव वो कोशिश की
उन रास्तो उन गलियो में ,
फिर भी मन भयभीत होता
उन कल्पनाओ के गलियो में ,
कुछ मित मिले कुछ छूट गये
उन कठिन परिस्थितियो में ,
फिर भी मन उदास न होता
जीवन के उन पहलुओ में ,
अब बीत गया वो समय कहाँ
अब सपनो से दूर रहा ,
हर सम्भव वो कोशिश की
अब बस पथ पर अडा रहा ,
हत्प्रभ रहता हूँ मैं अक्सर
जीवन के हर एक कड़ियो में ,
अक्सर सपने टूटा करते
उन कल्पनाओ के गलियो में.......
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