Friday, April 10, 2020

हर जगह ढूंढता फिर रहा है मुझे घर मेरा

यही है इबादत यही दीन ओ ईमां
कि काम आए दुनिया में इंसां के इंसां
- अल्ताफ़ हुसैन हाली

किस से पूछूं कि कहां गुम हूं कई बरसों से
हर जगह ढूंढ़ता फिरता है मुझे घर मेरा
- निदा फ़ाज़ली

रखना है कहीं पाँव तो रक्खो हो कहीं पाँव
चलना ज़रा आया है तो इतराए चलो हो
- कलीम आजिज़

हों हनूमान और 'अंगद' से हज़ारों योद्धा
सैंकड़ों भीम और अर्जुन से बशर पैदा कर
- लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति


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