Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, February 15, 2020
तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा
तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
~ शहरयार
धीरे से लबों पे पिघला है यह सवाल,
तू ज़्यादा ख़ूबसूरत है या तेरा ख़्याल..!!
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