Wednesday, January 8, 2020

और क्या इस से ज़ियादा कोई नर्मी बरतूँ दिल के ज़ख़्मों को छुआ है तिरे गालों की तरह

और क्या इस से ज़ियादा कोई नर्मी बरतूँ 
दिल के ज़ख़्मों को छुआ है तिरे गालों की तरह 

~जाँ निसार अख़्तर

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