Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Sunday, December 22, 2019
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे!
नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है,
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे!
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