आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है बेजुबान छत दीवारों को घर कर देता है।
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