आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है, चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है!
No comments:
Post a Comment