आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ख़त्म कुछ देर को दुनिया का झमेला कर दे ख़ुद के अन्दर से गुज़रना है अकेला कर दे
डॉ कुमार विश्वास
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