आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
भीतर के रावण को जो, आग खुद लगायेंगे, सही मायने में वे ही, दशहरा मनाएंगे!
No comments:
Post a Comment