आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
लम्हा लम्हा शुमार कौन करे, उम्र भर इंतिज़ार कौन करे!
कोई वादा भी तो वफ़ा न हुआ, बे-वफ़ाओं से प्यार कौन करे!
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