Friday, September 27, 2019

अंदेशे

अंदेशे दूर दूर के नज़दीक का सफ़र
कश्ती को देखता हूँ कभी बादबान को

बरसों से घूमता है इसी तरह रात दिन
लेकिन ज़मीन मिलती नहीं आसमान को!

No comments:

Post a Comment