आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदा, अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है!
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