आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पैशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना!
Rahat Indori
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