आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ
~कैफ़ी आज़मी
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