आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
खुदा ऐसे एहसास का नाम है रहे सामने और दिखायी ना दे..
खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे...
~ बशीर बद्र
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