आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, तब देखना फिज़ूल है, कद आसमान का!
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