आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे, बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे!
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