आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ख्वाहिशें कुछ कुछ यूं भी अधूरी रही पहले उम्र नही थी अब उम्र नही रही..!!
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