आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कभी वो लम्हा भी आएगा, कभी वो शाम भी आएगी! जब शायरी तेरे इंतजार में नहीं, तुझे पाने की खुशी में की जाएगी!
No comments:
Post a Comment