आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कुछ तुम कोरे कोरे से, कुछ हम सादे सादे से! एक आसमां पर जैसे, दो चांद आधे आधे से!
No comments:
Post a Comment