आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बारिश के मौसम में गजल क्या, बनाई है गौर फ़रमाइए जरा! बूँद चेहरे पर झर झर आ रही है , अब आप भी आ जाइए जरा!
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