आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अपने हाथों में मैने तुम्हारा हाँथ देखा है, मैंने चाँद और सूरज को इक साथ देखा है!
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