आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम, आँधी से कोई कह दे के औक़ात में रहे!
No comments:
Post a Comment