आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दिल में चुभने लगा है खार कोई, पड़ गई है कहीं दरार कोई! मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया, जैसे कागज़ पे इश्तेहार कोई!
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