आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दगाबाजों का शहर है, चारों तरफ ज़हर है! जिसका जिंदा ईमान है, यहाँ वो ही परेशान है!!
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