आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जब खोये रहें तेरे ख्यालों में, तो क्या नजारे और कैसी हवा! जब रोग लगे तेरे इश्क का, तो क्या दवा और कैसी दुआ!!
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