आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मोहब्बत से भरी कोई गजल उसे पसंद नहीं, बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं।
शायर कह कर मुझे बदनाम ना करना दोस्तो, में तो रोज़ शाम को दिन भर का हिसाब लिखता हूँ।
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