आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं, कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज हाथ में जाम हैं, मगर पीने का होश नहीं!
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