आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मिलने आयेंगे ख़्वाबों में, जरा रोशनी के दिए बुझा दीजिये, अब और नहीं होता इंतज़ार मुलाक़ात का, अपनी आँखों के पलके गिरा दीजिये!
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