आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते ना थे मेले में घर आके बहुत रोये माँ-बाप अकेले में.
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