आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
राज जो कुछ हो, इशारों में बता भी देना, हाथ जब मुझसे मिलाना दबा भी देना।
कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नज़र में रहो, ये सब तुम्हारे ही घर हैं, किसी भी घर में रहो।
-राहत इंडोरी
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