आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अपनी यादों से कहो एक दिन की छुट्टी दे मुझे, इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए.
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