आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ये कैसा तुम्हारा ख्याल है जो मेरा हाल बदल देता है, तूम दिसम्बर की तरह हो जो पूरा साल बदल देता है।
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