आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
आप तो मुँह फेर कर कहते हैं आने के लिए,
वस्ल का वादा ज़रा आँखें मिला कर कीजिए।
लाला माधव राम जौहर
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