आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी,
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी.
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