आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बिकने वाले और भी हैं जाओ जाकर खरीद लो, हम कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते हैं।
नफरत के बाजार में मोहब्बत बेचते है, कीमत में सिर्फ और सिर्फ दुआ ही लेते है।
कीमत तो खूब बढ़ गई दिल्ली में धान की, पर विदा ना हो सकी बेटी किसान की.
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