आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बस आप मुस्करा दें, तबीयत ख़ुश हो जाती है मेरी, सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम आप जैसा नहीं!
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