आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दिल टूटा मेरा और, ख्वाब बिखर गए दर्द मिला इश्क मे इतना, कि जख्मों से हम निखर गए!
No comments:
Post a Comment