आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तुझे चाहा तो बहुत, इजहार न कर सके, कटी गई उम्र सारी, प्यार कर न सके। तूने मांगी भी तो, जुदाई माँगी, और हम थे की, इनकार कर न सके।
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