आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
इस दौर में दूर से ही दुआ सलाम का रिश्ता अच्छा है, करीब आने पर अक्सर दूर हो जाते हैं लोग!
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